राम बाग
राम बाग, आगरा, उत्तर प्रदेश
रा मबाग यमुना नदी के बायें तट पर स्थित है। बाबर के जीवनवृत में उपलब्ध वर्णन के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि रामबाग का निर्माण बाबर ने किया था। सामान्यतया ऐसा माना जाता है कि 1530 ई. में जब बाबर की मृत्यु हुई तो अंतिम समाधिस्थल काबुल ले जाने से पूर्व उसे अस्थायी तौर पर इसी बाग में दफनाया गया था। जब मराठों ने 1775 ई. से 1803 ई. तक आगरा पर अधिकार कर लिया, तो उस समय अपभ्रंशित होकर इसका नाम 'रामबाग' हो गया। 'बाग-ए-नूर-अफसाँ' के रूप में इसका प्रथम ऐतिहासिक वर्णन देखकर कुछ इतिहासकारों को ऐसा लगा कि इसके नाम की उत्पत्ति काबुल के ' बाग-ए-नूर-अफसाँ' या 'नूर-अफसाँ' से हुई है।
यह बाग ऊँची चाहरदिवारी से घिरा हुआ है। जिसके कोने की बुर्जियों के ऊपर स्तम्भयुक्त मंडप है। नही के किनारे दो- दो मंजिले भवनों के बीच में एक ऊँचा पत्थर का चबूतरा है। इन संरचनाओं में परिवर्तन पहली बार जहाँगीर के शासनकाल में तथा दूसरी बार ब्रिटिश शासनकाल में हुआ। इस स्मारक के उत्तरी-पूर्वी किनारे में एक दूसरा चबूतरा है जहाँ से हम्माम के लिए रास्ता है। हम्माम की छत मेहराबदार है। नदी के किनारे बनाए गए इस बाग को ऊपर से देखने पर ऐसा लगता है कि यह मुगलकालीन विहार उद्यान का विशिष्ट उदाहरण है। नदी से पानी निकालकर एक चबूतरे से बहते हुए चैड़े नहरों, हौजों (कुंडों), जलप्रपातों के समूहों (तंत्रों) के रास्ते दूसरे चबूतरे में बहाया जाता था।
प्रवेश शुल्क: भारत के नागरिक और सार्क (बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव और अफगानिस्तान) और बिम्सटेक देशों (बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाईलैंड और म्यांमार) के आगंतुकों के लिए -10 रु. प्रति आगंतुक
अन्य:
भारतीय रुपए. 100 / - प्रति व्यक्ति
(बच्चों के लिए 15 से ऊपर साल के लिए नि: शुल्क प्रवेश)