पुरातात्विक उत्खनन
आ
हिच्छत्रा, जिला बरेली
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के आगरा मण्डल ने वर्ष 2007-2008 में बरेली जिले के आँवला तहसील में स्थित पुरास्थल अहिच्छत्रा (अक्षांस 28व 22‘ उत्तर एवं देशान्तर 790 08‘ पूर्व) का उत्खनन कार्य प्रारम्भ किया। परंपरा के अनुसार यह स्थल महाभारत काल में उत्तर पांचाल की राजधानी था। सातवी शताब्दी में चीनी यात्री व्हेन सांग ने भी इस स्थल का भ्रमण किया था।
उत्खनन कार्य टीले के पूर्वी किनारे पर आरम्भ किया गया जिसे बाद में अलग - अलग क्षेत्रों में विस्तार किया गया(ACT IV, ACT IVA, ACTV, ACTVA मानचित्र में प्रदर्शित) ACTV पुरास्थल से कुषाण, सुंग एवं मौर्य काल के पुरावशेष प्राप्त हुए है। पुरास्थल पर कुल 3.5 मीटर का प्राचीन साँस्कृतिक जमाव प्राप्त हुआ जिसमें से 2 मीटर जमाव केवल कुषाण काल का है। इस काल के अवशेषों में मिट्टी की वनी हुयी क्रूसीबल सबसे महत्वपूर्ण है जिनका उपयोग धातु निष्कर्षण हेतु किया गया था। इसके अतिरिक्त मृदमाण्ड, मृणमयी मूर्तिया के टुकडे, डेबर आदि भी उत्खनन के दौरान प्रकाश में आये है। उक्त पुरानिधियों की उपलक्ष्यता के आधार पर कहा जा सकता है कि यह क्ष्ेात्र धातु व मिट्टी के बर्तन बनाने की कार्यशाला की तरह स्तेमाल होता था।
टीला ACT VA जिसका आकार लगभग 30 ग 30 मीटर है ACT-IV एवं ACT V के मध्य स्थित है। इस टीले का उत्खनन के पूर्व भारतीय प्रोघोगिकी संस्थान कानपुर द्वारा ळच्त् सर्वेक्षण किया गया था जिसका उदेश्य जमाव की प्रकृति व उसमें सन्निहित निर्मितियों की जानकारी प्राप्त करना था। उत्खनन के परिणाम स्वरूप टीले पर 4.15 मीटर सांस्कृतिक जमाव प्राप्त हुआ। उत्खनन के परिणाम स्वरूप इंटों की बनी हुई एक बडी निर्मित प्रकाश में आई जोकि संभवतः गुप्त या उत्तर गुप्तकाल की है। उत्खनन के दौरान बडी संख्या मंे तराशी गई इंटें, जानवरों की मणमयी मूर्तियां, चूडियां तथा गोमेद, अगेट व कांच के बने हुए मोती प्राप्त हुए है। इसके अतिरिक्त महिषासुर मर्दिनी की मणमयी मूर्ति उल्लेखनीय है।
टीला ACT-IV सबसे ऊंचा है तथा यहां कुल 5 मीटर का सांस्कृतिक जमाव प्राप्त हुआ है। जोकि उत्तर गुप्त काल का है उत्खनन के परिणाम स्वरूप पकी हुई इटों की बनी हुई कई निर्मार्तिया प्राप्त हुई है। इसके अतिरिक्त कुषाणकालीन एक कुआ भी प्राप्त हुआ है जिसका अन्दरूनी व्यास 1 मीटर 10 सेन्टीमीटर है। उत्खनन में बडी संख्या में मिट्टी के बर्तनों के टुकडें व अन्य पुरानिधिया प्रकाश में आयी है।
टीला ACT-IV A परकोटे के पश्चिमी द्वार के निकट बाहर की ओर स्थित है। इस टीले से चैकोर मिट्टी की टाइलों का बना एक चबूतरा तथा एक इंटों की बनी निर्मित जोकि सभवतः प्राचीन मंदिर के रूप में है, प्रकाश में आई है। ये सभी निर्मितिया उत्तर गुप्त काल की प्रतीत होती है।