संरक्षण कार्य
ताजमहल:
ताज महल के मुख्य मकबरे के नीचे बने भूमिगत कक्षो से क्षतिग्रस्त पलस्तर निकाल कर पारम्परिक सामग्री से निर्मित पलस्तर किया गया। मकबरे के मुख्य मुहाने पर खुले हुये जोडो तथा छत के उपर बनी हुई क्षत्रियों एवं चबूतरो को भी जलरोधी कर संरक्षित किया गया। मुख्य मकबरे के चारो तरफ बनी पुरानी जल निस्तारण प्रणाली जो पूर्ण रूप से बन्द हो गयी थी उसको पुनर्जीवित कर व्यवहारिक बनाया गया। मुख्य प्रवेश द्वार के दोनो तरफ बने दालानो एवं मुख्य मकबरे तक जाने वाले पथ को भी संरक्षित किया गया। मेहमान खाना एवं मस्जिद के पुराने जीर्ण हो चुके पत्थरो को बदला गया एवं उखडे हुएं पच्चीकारी के टुकडों को पुनः स्थापित किया गया। ताजमहल के पश्चिम में बने सहेली बुर्ज एवं फतेहपुरी मस्जिद में भी यथा आवश्यकता मरम्मत की गयी। विकलागों को ताजमहल भ्रमण में सुविधा प्रदान करने के लिए लकडी के अस्थाई ढलान मार्गो का निर्माण किया गया।
खानेआलम स्थित प्राचीन संरचनाओ को संरक्षित किया गया है मलबा हटा कर दबी हुई संरचनाओ को उजागर किया गया। एवं आवश्यकतानुसार लखौरी ईटो से अद्योस्तंभन किया गया एवं चूना मसाला से खाचित टीप की गयी। कब्रो के पुराने या गुमे हुऐ लाल बालूकाश्म के दासा, दाब, कैद इत्यादि यथा आवश्यकता बदले या लगाये गये।
आगरा किला
अंगूरी बाग स्थित कक्षो से पुराना एवं जीर्ण पलस्तर निकाल कर पारम्परिक सामग्री से निर्मित पलस्तर कर उसे मूलस्वरूप प्रदान किया गया। टूटे हुये या गुमें हुये लाल बालूकाश्म निर्मित जाली, मुतक्का, दासा, छज्जा, एवं फर्श के पत्थरो को मूल योजना के अनुरूप संरक्षित किया गया। मीना बाजार के द्वितीय एवं तृतीय प्रखण्ड का संरक्षण मूल स्वरूप के अनुसार किया गया। स्मारक का यह भाग भारतीय सेना द्वारा हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को हस्तातरित किया गया है। स्मारक से परिवर्ती एवं रूपान्तरित संरचनाओं को हटा कर सम्पूर्ण मीना बाजार को मूल स्वरूप प्रदान किया गया। आधुनिक सीमेन्ट पलस्तर हटा कर आवश्यकतानुसार अधोस्तम्भन एवं चूना पलस्तर से टीप कर सम्पूर्ण संरचना को जलरोधी बनाया गया। पूर्व में प्रारम्भ हुये मोती मस्जिद का संरक्षण कार्य इस वर्ष भी जारी रहा। गुम हुये संगमरमर शिलापट्ट एवं जीर्ण कंगूरो को बदला गया। दीवाने आम परिसर के उत्तरी द्वार एवं मस्जिद के बीच के क्षेत्र को भी संरक्षण किया गया। वास्तविक धरातल प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त मिटटी को हटाये जाने का कार्य जारी है। अमरसिंह द्वार के निकट खाई के जीर्ण एवं क्षतिग्रस्त लखोरी ईट के फर्श को निकाल कर कंक्रीट के आधार पर पुर्न निर्मित किया गया। जगह-जगह से वनस्पतियों को हटा कर खाचित टीप की गयी। अमरसिंह द्वार के निकट सूखी खाई का भी इसी प्रकार संरक्षण किया गया । दिल्ली द्वार का भी संरक्षण कार्य आरम्भ किया गया है।
स्मारक समूह फतेहपुर सीकरी:
1. अजमेरी द्वार, तेहरा दरवाजा, चन्द्र पोल, आगरा दरवाजा एवं ग्वालियर दरवाजा एवं दरवाजो से लगी ध्वस्त हो चुकी परकोटे की दीवार का पुर्ननिर्माण किया गया। चूना पलास्तर से खाचित टीप की गयी साथ ही उक्त दरवाजो की जीर्ण फर्ष को हटा कर नये चूना कक्रीट फर्श के द्वारा संरक्षित किया गया। क्षतिग्रस्त एवं जीर्ण पानपत्ती अलंकरण युक्त लाल बालूकाश्म दासा बदले गये।
2. टोडरमल बारादरी के विखडित हुये भवन अवशेष दोबारा सही स्थान पर लगाये जाने का कार्य प्रारम्भ किया गया जो कि वर्तमान में प्रगति पर है।
3. मीना बाजार एवं मरियम महल के जीर्ण लाल बालूकाश्म फर्श के पत्थर चूना कंक्रीट लगाने के बाद दुबारा लगाये गये।
अकबर का मकबरा सिकन्दरा
1. परिसर के पूर्वी द्वार का संरक्षण किया गया। जीर्ण एवं भंगुर हो चुके पलस्तर को हटाकर मूल के अनुरूप अलंकृत पलस्तर किया गया। टूटी एवं गुमी हुई लाल बालूकाश्म की जाली उपरी तल पर दुबारा लगाई गयी। मकबरे के मुख्य द्वार पर पच्चीकारी के गुमे हुये टुकडो को दोबारा लगाया गया।
2. टोडरमल बारादरी के विखडित हुये भवन अवशेष दोबारा सही स्थान पर लगाये जाने का कार्य प्रारम्भ किया गया जो कि वर्तमान में प्रगति पर है।
3. मीना बाजार एवं मरियम महल के जीर्ण लाल बालूकाश्म फर्श के पत्थर चूना कंक्रीट लगाने के बाद दुबारा लगाये गये।
दीवान जी बेगम मस्जिद ताजगंज आगरा
मस्जिद के परकोटे के जीर्ण एवं गुम हुये लाल बालुकाश्म के दासा दाब चैखट इत्यादि की मरम्मत/ पुनः स्थापना की गयी। चारो तरफ तार कसी एवं सम्पर्क मार्ग की व्यवस्था की गयी।
जामा मस्जिद
जामा मस्जिद की छत एवं दीवारो से जीर्ण पलस्तर को हटा कर मूल से मिलता हुआ पलस्तर दोवारा किया गया। अन्दरूनी क्षतिग्रस्त शिलापट्टो को बदला गया। मस्जिद के आंगन में क्षतिग्रस्त शिलापट्टों को मूल के अनुरूप बदला गया।
जाजऊ की सराय
सराय का द्वितलीय द्वार जो कि लगभग ध्वस्त हो चुका था, संरक्षित किया गया। भूतल का बरामदा तथा प्रथम तल के कक्ष संरक्षित किए गए। वनस्पति से भरी छत साफ कर पारंपरिक तरीके से ठीक की गई। इसके अतिरिक्त गुमे हुए एवं जीर्ण लाल बालुकाश्म के शिलापट्टों को बदला गया।
फिरोज खान का मकबरा
गंबद की छत एवं छोटे मेहराबों के जीर्ण पलास्तर के स्थान पर नक्काशी दार पलस्तर किया गया और बाहर की तरफ सादा चूना पलस्तर कर संरक्षित किया गया।
शाहपीर मकबरा मेरठ
छोटे शाहपीर का मकबरा जो क्षतिग्रस्त अवस्था में था। तथा जिसके गुम्बद के सभी खम्बे प्रायः जीर्ण हो चुके थे एवं ध्वस्त होने के कगार पर थे, को संरक्षित किया गया। जीर्ण एवं क्षतिग्रस्त लाल बालूकाश्म के पट्टो को मूल स्वरूप में लाया गया तथा गुम हुये एवं जीर्ण चबूतरे के पृष्ठावरण फलको को बदल
मुझेडा स्मारक समूह
चहरदीवारी के अन्दर दबे हुये चबूतरो को उजागर किया गया एवं उनका जलरोधन टीप तथा अधोस्तम्भन द्वारा संरक्षण किया गया। शयद उमर नुर खान एवं छज्जू खान के ध्वस्त एवं जीर्ण मकबरो को उपलब्ध मूल पत्थरो के द्वारा पुर्न निर्मित किया गया।
दरगाह रापडी, तहसील शिकोहाबाद
रापडी स्थित स्मारक समूह की ध्वस्त चहरदीवारी को मूल स्वरूप के अनुसार संरक्षित पुनः बनाया गया। जीर्ण हो चुके पलस्तर को गंुबद से हटाकर नया पलस्तर किया गया। द्वार की ध्वस्त मेहराब दुबारा बनाई गई। लाल बालुकाश्म से बने कंगूरें, जाली,छज्जा, गुलदस्ता इत्यादि यथा आवश्यकता लगाई गई।
मन्दिर सं0-1, अहिछत्रा जिला बरेली
उत्खनन से प्राप्त इष्टिका मन्दिर एक संरक्षण कार्य आरम्भ किया गया। उत्तर की फूली हुई दीवारो को निकाल कर पुनः दोबारा मूल के अनुरूप लगाया गया। संरक्षित संरचना का टीप एवं जलरोधन पारम्परिक सामग्री से किया गया।